पोस्टमॉर्टम का काम नहीं होता है आसान… रुम के अंदर होता है ऐसा

हमारे जीवन का सबसे बड़ा और कठोर सच है मृत्यु। भले ही हम मृत्य से डरते हैं और मरने की बात नहीं करना चाहते लेकिन हर वो इंसान जो इस दुनिया में आता है उसका जाना तय है। तो आइये आपको पोस्टमॉर्टम के बारे में कुछ बताते हैं। ऐसा क्या होता है पोस्टमॉर्टम रुम के अंदर जो नहीं है आसान।

क्यों हैं खौफनाक


आपने यह तो सुना होगा की इंसान की मृत्यु के पश्चात उसकी देह का पोस्टमॉर्टम होता है। लेकिन पोस्टमॉर्टम रुम के अंदर दरअसल क्या होता है ये हम आपको बताते हैं। बाबूभाई सीतापारा वाघेला नामक अहमदाबाद निवासी कई वर्ष से यह काम करते आ रहे है। उन्होंने अपनी डायरी में कई ऐसे किस्से लिखे है जिनको सुनने से आपकी रूह काँप उठेगी।

उनहोंने लिखा कि वे कई ऐसी लाशों का पोस्टमॉर्टम कर चुके है जिनको देखने मात्र से आम इंसान चीख उठेगा। राजकोट के पास का पेड़क इलाके कि एक घटना का वर्णन उन्होंने किया। वैसी लाश का सामना उन्होंने भी जीवन में पहले कभी नहीं किया था। सर कटी वो लाश जिस व्यक्ति कि थी उसकी मृत्यु 8 दिन पहली ही हो चुकी थी। लाश में चारों ओर कीड़े लग चुके थे। वे इस पोस्टमॉर्टम के बाद कई दिनों तक खाना नहीं खा पाए थे।


एक किस्सा अहमदाबाद में हुए एक लक्ज़री बस एवं मिनी बस के एक्सीडेंट का था। एक्सीडेंट में 18 लोगों कि मृत्यु हो गई थी। एक साथ इतनी लाशें देखकर बाबूभाई का दिल दहल गया था। रुम में इतनी जगह न होने पर लाशों को यार्ड में रखा गया जहाँ बाबूभाई ने पोस्टमॉर्टम किया। वे बताते हैं कि एक बार एक नन्हे से बच्चे कि लाश उनको सौंपी गई थी जिसपर किसी ने छुरी एवं हथौड़े से वार किया था। बाबूभाई के पिताजी एवं दादा भी पोस्टमॉर्टम किया करते थे। अपने डायरी में बाबूभाई ने कई खौफनाक किस्सों का जिक्र किया है।

Sachin

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