हमारा देश अंधविश्वासों से भरा है और लोग इन्हे मानने के लिए कुछ भी करने को तैयार है। कहा जाता है कि कई वर्ष पूर्व से ही अंधविश्वासों को मान्यता मिलती चली आ रही है। पर क्या आपको पता है इनके पीछे का पूरा सच? जानिये क्यों किया जाता था ये सब और कैसे ये बन गई प्रथा।
काली बिल्ली का रास्ता काटना
काली बिल्ली यदि रास्ता काट दे तो अक्सर लोग वहीँ रुक जाते है। दरअसल प्राचीन समय में लोग जब बैलगाड़ियों से लम्बा रास्ता तय करते थे तो तेंदुएं, जंगली बिल्ली इत्यादि रात्रि के समय सामने आ जाते थे। ऐसे में गाय और बैल उनसे घबराते थे। इसी स्थिति से बचने के लिए लोग थोड़ी थोड़ी देर में रुकते हुए आगे बढ़ते थे। समय के साथ यह एक अंधविश्वास बन गया।
शीशा टूटना अशुभ संकेत
पहले के टाइम में शीशे बड़े मेहेंगे एवं नाजुक होने की वजह से यदि ये टूट जाते थे तो लोग इसे अपनी बदकिस्मती समझते थे।
मृत व्यक्ति की आँखें बंद करना
ऐसा सिर्फ इसलिए किया जाता है जैसे की हमे लगे इंसान शान्ति से सो रहा है।
गर्भवती का ग्रहण के दौरान घर में रहना
ऐसा इसलिए कहा जाता है जैसे की हानिकारक अल्ट्रावायलेट ऊर्जा से वे बच सके।
मंगलवार को बाल ना कटवाना
पुराने ज़माने में किसान पुरे हफ्ते परिश्रम करके सोमवार को विश्राम करते थे। ऐसे में वे बाल सोमवार को ही कटवाते थे। मंगलवार को नाइ की दुकाने कम चलने की वजह से ज़्यादातर नाइ दूकान बंद रखने लगे।
घर के अंदर छाता खोलना
पहले हर वस्तु की तरह छाते भी मजबूत बनाए जाते थे। उनमे स्प्रिंग की ट्रिगर भी हुआ करती थी। लोग घर में छाता इसलिए नहीं खोलते थे की कहीं कोई नुक्सान न हो जाए।
मासिक धर्म में महिलाओं को अशुद्ध मानना
मासिक धर्म के दौरान महिलाओं के शरीर में रक्त की कमी की वजह से कमज़ोरी आती है। ऐसे में उन्हें भारी भरकम कामो से परहेज करना चाहिए।
सूर्यास्त के पश्चात शेविंग और नाख़ून न काटना
हमारे पूर्वज ये दोनों काम सूर्यास्त के बाद करने मना करते थे क्योंकि उन दिनों बिजली न होने से अँधेरे में ये दोनों कामों से हमें चोट लग सकती थी।
नींबू मिर्ची लटकाना
ऐसा दुकानों में कीट एवं फतिंगो को दूर रखने के लिए किया जाता था और इसके पीछे कोई टोटके वाली बात नहीं होती थी।