कितने ही शर्म की बात है की अब तक #MeToo में अपने साथ हुए यौन शोषण को बताने वाली महिलाओं की गिनती 27000 पार कर गयी हैं। इस कैंपेन ने दुनिया की औरतों और महिलाओं के साथ साथ पुरषों को भी झकझोर कर रख दिया है की क्या सच में घर, आसपास के इलाक, अपने काम करने वाली जगह और पढ़ने वाली जगह पर भी हमारी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं।
आप जहाँ सोच भी नहीं सकते वहां भी आपके साथ इतनी घटिया हरकत कर दी जाती है। हॉलीवुड एक्ट्रेस एलिजा मिलानो के द्वारा ये कैंपेन शुरू हुआ था जिसमें काफी एक्ट्रेस तथा और लड़कियों ने अपने साथ हुए यौन शोषण को सबके सामने रखा और अब इस में जुडी हैं मुनमुन दत्ता जो तारक मेहता का उल्टा चश्मा फेम बबिता हैं।
मैं वो याद भी करूँ तो आँखें नम हो जाती हैं
मुनमुन ने बताया की अब मैं जब ये सब लिखने लगी हूँ तो मेरी आँखें नम हो गयी हैं फिर से बचपन की वो बातें मेरे सामने आ गयी हैं। उन्होंने बताया की उन्हें बचपन में अंकल से डर लगता था जो उनके घर के पास रहते थे और जब भी उनको मौका मिलता था वो मुझे जकड लिया करते थे और फिर धमकाते भी थे की ये किसी को बताया तो देखना, उनके अपने कजिन उनको गन्दी नज़र से देखते थे जो की उनसे उम्र में काफी बड़े भी थे लेकिन अपनी बेटी को देखने की नज़र और मुनमुन को देखने की नज़र में ज़मीन आसमन का फ़र्क़ था।
जिस आदमी के सामने उनका जन्म हुआ था वो ही कुछ सालों के बाद उनको छूने में कोई आपत्ति नहीं समझता था क्युकी अब उनका शरीर बदल गया था सिर्फ इसलिए, उनका टूशन टीचर ने उनको निचे हाथ लगाया था और एक दूसरा टीचर जिनको उन्होंने राखी भी बाँधी थी वो लड़कियों के ब्रा स्ट्रैप्स को खिंच दिया करता था और उनकी ब्रैस्ट पर थप्पड़ मारा करता था।
डरते थे की किसी को कैसे बताये
जब लड़कियों के साथ ऐसा होता है तो बस वो ये सोचकर ही किसी से कुछ नहीं कह पाती की हम कैसे किसी को बताएंगे, कैसे कहेंगे की हमारे साथ क्या हुआ है और बस फिर ये बातें उनके मन में घर कर जाती हैं की सभी मर्द बुरे हैं और आपका यौन शोषण करते हैं। कितनी शर्मनाक बात हैं की उन लड़कियों की कोई गलती नहीं है फिर भी उनको कितना कुछ सोचना पड़ता है।
कब बदलेंगे हम ?
इस कैंपेन के आने से पहले भी हम आये दिन शोषण की बातें सुनते थे और इस #MeToo कैंपेन में तो सभी महिलाओं ने खुलकर अपने जज़्बात को सामने रखा है लेकिन कब तक हम सिर्फ सुनते या पढ़ते रहेंगे सवाल तो ये होना चाहिए की आखिर हम बदलेंगे कब ? अगर हर इंसान सिर्फ खुद को बदलने का सोच ले तो किसी को कुछ करने की या किसी को सुधारने की ज़रुरत नहीं पड़ेगी।