त्रेता युग में श्री राम ने माता सीता को दिया उनकी मुँह दिखाई में ऐसा उपहार… कहलाने लगे मर्यादा पुरुषोत्तम

हमारे देश की प्रचलित रस्म मुँह दिखाई के बारे में तो आप जानते ही होंगे। नई नवेली दुल्हन का पहली बार चेहरा देखते ही लोग उसे कुछ न कुछ उपहार देते है। यही नहीं पति अपनी पत्नी को भी सुहागरात पर उसका चेहरा देख कर एक उपहार देता है। यह रस्म सदियों से चली आ रही है। आइए आपको ले चलते है रामायण के त्रेता युग में। जानिये क्या उपहार दिया था प्रभु श्री राम ने अपनी पत्नी सीता को।

वाटिका में हुई थी पहली मुलाकात


सीता मैया अपने स्वयंवर की सुबह को वाटिका में गौरी पूजन के लिए पुष्प चुनने गई थी जहाँ श्री राम पहले से ही मौजूद थे। वे अपने गुरु विश्वामित्र के लिए पुष्प लाने गए थे। दोनों को एक दुसरे को देखते ही प्रेम हो गया था और माता सीता ने तो श्री राम को मन ही मन अपना वर चुन लिया था।

स्वयंवर में शामिल हुए देवी देवता


इस अद्भुत मिलन का साक्षी हर कोई बनना चाहता था। सभी देवी देवता रूप बदल कर स्वयंवर में सम्मिलित हुए थे। प्रभु श्री राम के कुंडली में मांगलिक योग होने की वजह से कई रुकावटें तो आयी लेकिन प्रभु ने धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा कर पूरी सभा को दांग कर दिया।

दिया अनोखा उपहार मुँह दिखाई में


आखिर वो रात आ ही गई जिसका हर विवाहित जोड़ी को इंतज़ार रहता है। प्रभु ने माता सीता को ऐसा उपहार दिया जो आजतक किसी पति ने अपनी पत्नी को पहली रात में नहीं दिया होगा। माता सीता इतनी प्रसन्न हुई की खुद को सौभाग्यशाली प्रतीत करने लगी।

वो वचन जो हर पत्नी चाहती है अपने पति से

श्री राम ने माता सीता को भौतिक उपहार न देकर एक वचन दिया। उन्होंने कहा की वे अपने जीवन में अन्य किसी स्त्री को स्थान नहीं देंगे। इतने उच्च विचारों की वजह से ही कहलाए गए मर्यादा पुरुषोत्तम।

Sachin

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