अरुण गोविल यही नाम है उस शख्सियत का जिनको लोग उनके असली नाम से कम बल्कि राम के नाम से ज़्यादा जानते हे. अरुण गोविल ने रामानंद सागर के मशहूर धारावाहिक रामायण में काम करके जो प्रसिद्धि प्राप्त की वो आज किसी के लिए भी संभव नहीं है.
आम लोग तो इनको भगवान् राम के नाम से ही पहचानने लगे थे. और तो और, कई जगह तो उन्हें भगवान् मान के पूजा भी होने लगी थी. लेकिन शायद यही बात उनके करियर पर भारी भी पड़ गयी
भगवान्व राम के रूप में लोगों के मन में बसे होने के कारण उन्हें किसी दूसरी भूमिका में लोगों ने स्वीकारा ही नहीं. उन्होंने जो भी किरदार निभाए, लोग उनमे भगवान् राम को ही ढूंढते रहे.
उनका जन्म 12 जनवरी 1958 को उत्तरप्रदेश के मेरठ में हुआ था. जवानी के दिनों में कई नाटकों में अभिनय करने के बाद भी उनका अभिनय के क्षेत्र में आने का कोई इरादा नहीं था. मुंबई तो वो व्यवसाय करने के लिए अपने बड़े भाई के साथ आये थे, परन्तु जब काम अच्छा नहीं चला तो उन्हें अभिनय के लिए हाँ करनी पड़ी.
तब साल 1977 में ‘पहेली’ फिल्म के लिए उन्हें पहला ऑफर मिला। उसके बाद कुछ सीरियल जैसे ‘विक्रम और बेताल’ और ‘राजा विक्रमादित्य’ में उनके काम की तारीफ हुई. उनके अभिनय को देखने के बाद ही रामानंद सागर ने धारावाहिक रामायण में उन्हें ‘रॉम’ का रोल ऑफर किया था.
जीवन भर नहीं निकल पाए श्री राम की भूमिका से
रामायण धारावाहिक लोगों ने बहुत पसंद किया. भगवान् श्रीराम की भूमिका निभाने के कारण अरुण घर घर में पहचाने जाने लगे. लोग उन्हें भगवान् ही मान कर बड़े सम्मान के साथ मिलते थे. उस के बाद अरुण इस भूमिका से कभी निकल पाए. ना तो लोग उन्हें किसी और भूमिका में पसंद करते और फिर डायरेक्टर भी उन्हें कोई और भूमिका देने से बचने लगे.
उसके बाद अरुण सामाजिक कार्यो को करने में जुट गए
बाद में अरुण ने भगवान् श्री राम के आदर्शों पर ही अपनी जिंदगी को जीने का फैसला किया और ब्रह्मऋषि श्री कुमार स्वामी के मार्गदर्शन में सामाजिक कार्यो को करने में जुट गए.