कहते है हमारा देश भारत 1947 में स्वतंत्र हो गया था? क्या आपको भी ऐसा लगता है? जहाँ एक तरफ देश की महिलाएं ओलंपिक्स में मैडल जीत रहीं हैं, वहीँ दूसरी तरफ ऐसी महिलाएं भी है जो माँ बाप द्वारा बेचीं जाती है और वेश्यावृति के दलदल में आजीवन फसीं रहती है।
कहाँ होता है ऐसा?
हम बात कर रहे है ‘परना’ नामक एक समुदाय की जो की दिल्ली के नजफगढ़ नामक इलाके में है। इस समुदाय में पैदा हुई तकरीबन हर लड़की का भविष्य बचपन से ही अँधेरे में ढकेला जाता है। प्रेमनगर बस्ती के इस समुदाय में काफी पीढ़ियों से ऐसी गन्दी प्रथा चली आ रही है।
रात को करवाया जाता है काम
इस समुदाय में लड़कियों का विवाह 12 से 15 की आयु तक में करवाया जाता है। दिन में घर परिवार सँभालने के बाद रात में वेश्यावृति का धंदा करती है बहुएं।
सेहती है अत्याचार
ना चाहते हुए भी लड़कियों को वेश्यावृति का पालन करना पड़ता है। कभी कभी आवाज़ उठाने पर उन्हें मार दिया जाता है।
बचपन से करवाई जाती है तैयारी
यहाँ माता पिता अपनी बच्चियों को पढ़ाई लिखाई ना करवाके वेश्यावृति के लिए तैयार करवाते है। सौंपा जाता है दलालों को जो उन्हें वेश्यावृति की ट्रेनिंग देते है जिसके बदले माँ बाप को मिलती है अच्छी रकम। छोटी उम्र में ही उनकी शादी करवाई जाती है।
शादी नहीं होता है सौदा
दरअसल माँ बाप अपनी बेटियों को ऐसे ससुराल वाले को बेचते है जो उन्हें सौदे के हिसाब से ज़्यादा से ज़्यादा पैसे देने को तैयार हो।
ससुराल वाले ढूंढ़ते है ग्राहक
शादी के बाद ससुराल वाले अपनी बहु के लिए अच्छे से अच्छे ग्राहकों को ढूंढ़ते है।
पढ़ना चाहती है बेटियां
इस दलदल में फसीं अधिकतर लड़कियां पढ़ना चाहती है। यह जाल इतना मज़बूत बुना हुआ है की यहाँ किसी संगठन की आवाज़ तक नहीं पहुँच रही है।
चाहती है आज़ादी
अब बताइए क्या सच में हमारा देश आज़ाद है? क्या सरकार को इन्हे बचाने के लिए आगे नहीं आना चाहिए? ऐसे न जाने कितने समुदाय होंगे हमारे देश में और ना जाने कितनी बेटियां बिक रही है बाज़ारों में।