पिता चलाते हैं घोड़ागाड़ी पर बेटी बनी हॉकी टीम की कप्तान – अब जीत लायी है एशिया कप भी

Sachin
By Sachin

ये बात तो बिलकुल सच है की किसी भी तरह की परिस्थिति, किसी भी तरह का दुःख और किसी भी तरह की कमी आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती अगर आपने ठान लिया है की आप जीतकर ही रहेंगे और ऐसा एक बार फिर हमे कर दिखाया है भारत की हॉकी टीम के कप्तान रानी रामपाल ने। रानी रामपाल हरयाणा के शाहबाद से हैं और उन्होंने 13 साल बाद अपनी कप्तानी में भारत की महिला हॉकी टीम को जीताया है एशिया कप।

हॉकी टीम की रानी ही हैं रामपाल

रानी रामपाल को हॉकी टीम की रानी ही कहा जाता है वो इतना शानदार खेलती हैं की उनको देख कर आप हैरान हो जायेंगे। उनके कोच भी इस बात की तारीफ करते हैं की वो बहुत सोच समझकर और तेज़ी से खेलती हैं की सबको ये समझने में ही वक़्त लग जाता है की वो अब क्या करेंगी। रानी ने चौथी क्लास में कुछ लड़कियों को हॉकी खेलते हुए देखा था और तभी से ये निर्णय कर लिया था की अब हॉकी ही खेलनी है और उनके परिवार वालों को माननी पड़ी उनकी ये बात।

घोड़ागाड़ी चलाते थे इनके पिता

क्या आप ये बात जानते हैं की रानी रामपाल के पिता और पुरे परिवार ने पहले बहुत गरीबी देखि लेकिन ये गरीबी भी उनके सपने को पूरा होने से नहीं रोक पायी। दरअसल रानी के पिता घोड़ागाड़ी चला करते थे और उसी से उनके घर का गुज़ारा चलता था और आज भी रानी को अपने पिता पर गर्व है क्यूंकि काम कोई छोटा बड़ा नहीं होता ज़रूरी होता है तो मेहनत और लगन। आज भी उनके पिता अपने संस्कारों और मिटटी से जुड़े हैं और दोनों पिता बेटी को एक दूसरे पर नाज़ है। अपने नाम के साथ अपने पिता का नाम लगाती हैं रानी और उन्हें गर्व है अपने पिता पर।

खेलने के लिए ज़ज़्बा चाहिए

रानी के घर के हालात ठीक नहीं थे इसलिए उनके पास वो ज़रूरी सामान नहीं होता था जो उनको चाहिए होता था यहाँ तक की उनके पास जूते और हॉकी किट जैसी ज़रूरी चीज़ें भी नहीं थी लेकिन ये सब कमियां उस जज़्बे को नहीं रोक पायी जो रानी के भीतर था और कुछ करने की इच्छा ने उनको यहाँ तक पहुँचाया।

छोटी उम्र में पहुंची टीम में

रानी रामपाल महज 13 वर्ष की आयु में ही हॉकी टीम का हिस्सा बन गयी थी और अपनी रणनीति और खेल से वो आज भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान बन गयी हैं। उन्होंने अपने करियर में बहुत तरीके के खिताब जीते हैं जैसे की 2010 में में वो महिला विश्वकप में खेलने वाली सबसे युवा खिलाडी थी, जूनियर हॉकी विश्वकप 2013 में उनको मिला था प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट अवार्ड, महिला हॉकी वर्ल्ड कप में 7 गोल करने पर उनको सर्वश्रेष्ठ यंग फॉरवर्ड का खिताब मिला था, ऐसे ही कई अवार्ड रानी रामपाल को अपने करियर में मिले और आगे भी ज़रूर मिलेंगे। यही नहीं रानी ने अपने अच्छे काम के बलबूते पर सरकारी नौकरी को भी पाया।

रानी के जीवन से भी यही बात सामने आती है की अपने सपने को पूरा करने के लिए बस लगन से अपने काम में जुट जाए और एक दिन कामयाबी आपके कदम ज़रूर चूमेगी।

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