ये दुनिया भी बड़ी विचित्र है। पग पग पर रीती – रिवाज बदलतेजमाई है। घर हो या बाहर, हर कहीं के अपने नियम कायदे। अब इंडोनेशिया के सुमात्रा में बसे इस समुदाय को ही देख लीजिये। यहाँ शादी के बाद दुल्हन ससुराल में नहीं रहती बल्कि मर्द घर जमाई बन कर रहते है।
घर के सभी छोटे बड़े निर्णय घर की बुजुर्ग महिलाएं ही लेती है। परिजनों के स्वर्गवास के बाद उनकी संपत्ति पर बेटियों का हक़ होता है। और तो और, बच्चों को मिलता है माँ का नाम।
मीनंगकाबौ समुदाय में घर जमाई की परंपरा सदियों पुरानी
ऐसा नहीं है की वीमेन एम्पावरमेंट के लिए इस समुदाय ने हाल ही में ये नियम बनाये हो। इनकी ये प्रथा तो सदियों पुरानी है। कहते है की सन 1200 के आसपास एक राजा था, जिसकी तीन रानियाँ और छोटे छोटे पुत्र थे।
राजा का अकस्मात् निधन हो गया। बेटों की उम्र कम होने के कारण सबसे बड़ी रानी ने शासन संभाला और तभी से ये समुदाय नारी प्रधान हो गया है।
इनके विचित्र रीती रिवाज
वैसे तो मीनंगकाबौ समुदाय के कई ऐसे रिवाज है जो हमें थोड़े अजीब लगे। उनमें से कुछ ये है :
- शादी के बाद लड़का ससुराल में रहता है। दुल्हन की बजाय दूल्हे रहते है ससुराल में।
- पुरुष घर जमाई बन कर घर पर नहीं बैठते। परिवार के पालन के लिए पैसे वो ही कमा कर लाते है।
- पारिवारिक और आर्थिक मुद्दों पर महिलाएं सुनाती है अंतिम निर्णय। घर उन्ही के कहे हिसाब से चलता है।
- बच्चों को सरनेम के तौर पर बाप का नहीं बल्कि माँ का नाम मिलता है। इस तरह की प्रथा वाले गिने चुने समुदाय ही है दुनिया भर में।
- पैतृक सम्पति का बंटवारा बेटियों में ही होता है। बेटों को नहीं मिलता इसमें कोई हक़।
- राजनीतिक और धार्मिक मसलों पर पुरुषों की बात को दी जाती है प्राथमिकता।
तो अगर आप भी घर जमाई बनाने वाले इस समुदाय को और जानना चाहती है तो आज ही बुक कराये टिकट इंडोनेशिया का। और पहुंच जाए सुमात्रा में, जहां ये समुदाय सबसे ज्यादा संख्या में मौजूद है।