जिस्म बेच कर इज्जत कमाती है यहाँ लड़कियां, सच जान कर आ जायेंगे आँसू

Sachin
By Sachin

हम ये बात अच्छे से जानते हैं की हमारे देश में लड़कियों की संख्या लड़को से कम है। ऐसा इसलिए भी है क्यूंकि हर कोई बेटा चाहता है, अगर कही बेटी होगी तो दहेज़ देना पड़ेगा और उसकी इज्जत की रक्षा भी करनी पड़ेगी। आजकल जिस तरह के घिनोने काम बाहर होते है की कोई भी अपनी लड़की को किसी के भरोसे नहीं छोड़ सकता इसलिए लड़की होने से ही कतराता है। मगर हमारे ही समाज में कई गाँव के ऐसे इलाके हैं जहाँ बेटी के होने पर जश्न मनाया जाता है क्यूंकि वो देह बेचकर घर का खर्चा चलाती हैं।

लड़को की संख्या है कम

इस तरह के इलाके में लड़को की जगह लड़कियों की संख्या ज़्यादा है और वो घर का खर्च चलाने के लिए अपनी इज्जत बेचती हैं। छोटी उम्र से ही वो ये बात जानती हैं की बड़े होकर उनको ही अपने घर की सारी ज़िम्मेदारी उठानी है और वो खुद को पहले से ही करती है तैयार।

माता पिता खुद भेजते हैं इस काम के लिए

हमारे लिए ये बहुत ही हैरानी के बात है की जो भी लड़कियां ये काम करती हैं उनको खुद उनके माता पिता इस काम को करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। ये बात तो हम कभी सोच भी नहीं सकते की कोई माता पिता अपनी बेटियों को ऐसा कह सकते हैं।

बहुत से गाँव है इसमें लिप्त

मध्य प्रदेश के बहुत से गाँव ऐसे हैं जहाँ पर देह व्यापर का काम ज़ोरो शोरो पर किया जाता है। वहां पर बचपन से ही लड़कियां ये बात जानती हैं की उनको बड़े होकर क्या करना है।

देह व्यापर है बहुत बड़ा

मध्य प्रदेश के बांछड़ा समाज के लोग जहाँ निवास करते हैं वहां पर देह व्यापर ही सबसे ज़्यादा चलता है वहां की लड़कियां इस काम में माहिर है ये ही उनका पेशा है।

महिलाओं को इज्जत बक्शी जाती है

आप ये जानकार हैरान रह जायेंगे की ऐसा काम करने के बावजूद भी महिलाओं को यहाँ पर इज्जत बक्शी जाती है क्यूंकि महिलाये ही घर का सारा बोझ अपने कंधे पर उठाये रहती हैं।

बेटी होने पर मनाते हैं जश्न

हमने सुना है की बेटों के होने पर ही जश्न मनाया जाता है लेकिन ये ऐसे इलाके हैं जहाँ पर बेटी के होने पर जश्न मनाया जाता है, आसपास के लोग पुरे ढोल नगाड़े बजाते हुए उस घर पर जाते हैं जहाँ बेटी का जनम हुआ होता है।

पैसे कमाने का जरिया

इन लोगों के पास पैसे कमाने का रास्ता देह व्यापर ही है , ये खुद अपने घर की लड़कियों को इस काम में घुसाते हैं जिससे इनके घर का खर्च चले। छोटी बहने भी इसी का इंतज़ार करती हैं की वो कब बड़ी होंगी और कब अपनी बड़ी बहिन की तरह इस काम में आएँगी और पैसा कमाएंगी।

सारा खर्च उठाती हैं

घर की लड़कियां उठाती हैं घर का सारा खर्च इसलिए घर के सभी सदस्य बचपन से ही अपनी बेटी के बड़े होने का इंतज़ार करते हैं की वो कब बड़ी होंगी और सारा खर्च उठाएंगी।

देखा आप सभी ने हमें लगता है की हम बहुत मॉडर्न हो गए हैं, भारत डिजिटल वर्ल्ड बन गया है पर इस तरह की बात जानकर लगता हैं की हम आज भी एक पिछड़ा हुआ समाज ही हैं।

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