आपके पार्टनर यदि झूठ बोले तो आप आसानी से पकड़ पाएंगे, बस इन बातों को रखें हमेशा याद

Sachin
By Sachin

आजकल के बदलते दौर में बहुत कुछ बदल गया आपसी रिश्तों की पहचान, दोस्ती और झूठ मक्कारी इतनी बढ़ गयी है की आप समझ ही नहीं पाते की कोई आपसे झूठ बोल रहा है या सच। लोगों ने झूठ का दामन ऐसे पकड़ लिया है की वो भी सच ही लगता है। इसलिए धोखा, किसी पर विश्वास न करना हमारी नेचर में ही आ गया है। लेकिन एक बात हमेशा याद रखें जो हमारे बज़ुर्गो ने हमें सिखाई है जैसे चोर की दाढ़ी में तिनका और झूठ चाहे कितना भी बलवान क्यों न हो वो एक ना एक दिन ज़रूर पकड़ा जाता है और हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसी बातें जिस से आप एकदम से किसी का झूठ पकड़ सकते हैं।

झूठ बोलने वाला इंसान हमेशा थोड़ा घबराया हुआ होता है क्यूंकि वो भी ये बात अच्छे से जानता होता है की वो झूठ बोल रहा है इसलिए ऐसे इंसान को उलझा कर पकड़ना बहुत ही आसान है।

तो आइये जानते है कुछ ऐसे ही टिप्स जो आपकी मदद करेंगे :-

आँखें नहीं मिलाएंगे – एक बात हमेशा याद रखें जो इंसान झूठ बोलता है उसको ये डर हमेशा सताया रहता है की कहीं उसका झूठ पकड़ा ना जाए इसलिए वो अपनी बात को फटाफट से ख़त्म करना चाहता है और इसीलिए वो आपसे नज़रे मिलाने से भी कतराता है। तो जब भी आपको किसी पर शक हो तो आप इस बात पर गौर ज़रूर करिये की उनकी आँखें कहाँ हैं ?

जल्दबाज़ी में बात करना – जो इंसान झूठ बोलता है वो उस टॉपिक से हमेशा कन्नी काटना चाहता है इसीलिए उस बात पर कुछ बोलना ही नहीं चाहता पर जब हम ज़्यादा ज़िद्द करते हैं तो वो जल्दी जल्दी से उस बात को ख़तम करने में विश्वास रखता है।

दूसरे लोगों का नाम बीच में लाना – झूठ बोलते वक़्त उस इंसान को ये डर सताये होता है की कही मैं फंस न जाऊ इसीलिए वो कभी किसी का नाम लेगा तो कभी किसी का जैसे की वो मुझे ले गया था, मेरा फ़ोन दोस्त के पास था जैसी बातें आपको ये बता देती हैं की वो झूठ बोल रहा है।

चेहरे पर दे ध्यान – जब भी कोई इंसान झूठ बोलता है तो उसका चेहरा कभी भी उसका साथ नहीं देता। आप लगातार उसकी आँखों में देखिये, उसके चेहरे को देखिये तो आप समझ जायेंगे की उसके चेहरे के रंग ही बदले हुए हैं, उस पर गर्माहट है जो आपको ये बता देगी की दाल में कुछ काला है।

जीभ निकालना, होंठो को दबाना – अगर कोई व्यक्ति बात करते समय बार बार जीभ बाहर निकाल रहा है या फिर दांतों के निचे होंठो को दबा रहा है तो समझ जाइये की जो वो कह रहा है उस पर उसको विश्वास नहीं है और कुछ तो गड़बड़ ज़रूर है।

चिड़चिड़ा हो जाना – इंसान झूठ बोलते हुए डरा होता है इसलिए उसका गुस्सा और चिड़चिड़ापन साफ साफ झलकता नज़र आता है। अगर कोई बिना बात के ही एक दम से झल्ला उठे तो समझ लीजिये की वो घबरा गया है और अब अपनी बात को नहीं संभाल पा रहा।

आवाज़ के बदलाव पर ध्यान दें – जब कोई किसी से बात करते हैं तो उसकी आवाज़ में कोई ख़ास उतार चढ़ाव नहीं होते लेकिन जब कोई झूठ बोलता है तो बातों में हिचक, सांस का ज़्यादा फूलना और जगह जगह पर अटकना आपको बता देता है की शायद आप सच नहीं सुन रहे।

सवाल के जवाब ना देना – झूठ बोलते समय इंसान कम बात करने में विश्वास रखता है और उतना ही बोलना चाहता है जिसमें वो पकड़ा न जा सके। इसलिए अगर आपको किसी पर शक हो रहा हो तो उससे उस बात पर ज़्यादा सवाल करें जिस से कई बार इंसान सवालों में फंस कर सच बोल देता है या फिर सवाल का जवाब ही नहीं देता है।

पसीना आना – आपने ये कहावत ज़रूर सुनी होगी झूठ तो अच्छे अच्छों के पसीने छुड़ा देता है और ये सिर्फ कहावत नहीं हैं बल्कि असलियत है इसीलिए अगर किसी को बात करते समय पसीना आने लगे तो समझ जाइये की वो अपने ही बिछाए जाल में फंस रहा है।

बालों में हाथ फेरना – कई लोग बड़ी ही सफाई के साथ झूठ बोलते हैं लेकिन मन में जानते हैं की वो पकडे जा सकते हैं इसलिए वो बार बार अपने बालों पर हाथ फेरते हैं या फिर उंगलिया चटकाते हैं जो आपके लिए साफ साफ संकेत हैं की आपको बेवकूफ बनाया जा रहा है।

ये बातें सिर्फ एक स्वाभाविक विवरण हैं जो हमारे स्वभाव को सबके सामने लाता है इन बातों पर ध्यान देकर आप सच और झूठ में फ़र्क़ कर सकते हैं और झूठ को पकड़ सकते हैं जिस से की झूठ बोलने वाला इंसान अगली बार आपके सामने झूठ बोलने से पहले कम से कम 100 बार सोचे!

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नमस्ते! मैं सचिन, हिंदी ब्लॉगिंग जगत में एक समर्पित लेखक और कंटेंट क्रिएटर हूँ। ब्लॉगिंग के माध्यम से, मैं अपने विचार, अनुभव और ज्ञान को आप सबके साथ साझा करने का प्रयास करता हूँ। मेरी लेखनी का उद्देश्य न केवल जानकारी प्रदान करना है, बल्कि समाज में जागरूकता और सकारात्मक परिवर्तन लाना भी है। मेरे ब्लॉग विभिन्न विषयों को कवर करते हैं, जिनमें यात्रा वृतांत, सामाजिक मुद्दे, साहित्य समीक्षा और तकनीकी टिप्स शामिल हैं। सरल और स्पष्ट लेखन शैली के माध्यम से, मैं अपने पाठकों के साथ एक मजबूत संबंध स्थापित करने का प्रयास करता हूँ। मेरा विश्वास है कि हिंदी भाषा में उच्च गुणवत्ता की सामग्री उपलब्ध कराना बेहद महत्वपूर्ण है, और इसी दिशा में मैं निरंतर कार्यरत हूँ।