भारत के इन प्राचीन मंदिरों में दर्शन करने से मिलता है आशीर्वाद… पूरी होती है मुरादें

Sachin
By Sachin

भारतीय सभ्यता अत्यंत प्राचीन है । धर्म के प्रति यहाँ लोगों की निष्ठा उनकी आध्यात्म शक्ति को प्रबल बनाता है और उन्हें उच्च संस्कार देता है जिससे समस्त विश्व उनकी आस्था एवं मान्यताओं को जिज्ञासा भरी निगाहों से देखता है।

भारत मंदिरों का देश है और यहाँ के चमत्कारी मंदिरों में लोग पूरी श्रद्धा एवं अटूट विश्वास से दर्शन करने जाते हैं।

जगन्नाथ मंदिर – पुरी

हिन्दुओं के चार धाम मे से एक जगन्नाथ मंदिर ओडिशा के पुरी मे स्थित है। प्रभु जगन्नाथ श्री विष्णु भगवान के ही स्वरुप माने जाते हैं। अत्यंत प्राचीन इस मंदिर मे कई चमत्कार देखने को मिलते हैं जैसे हवा के विपरीत मंदिर की ध्वजा का लहरना ,मंदिर के गुम्बज के ऊपर से किसी भी पक्षी का ना उड़ना इत्यादि। पूरे वर्ष यहाँ लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं क्योंकि उन्हें अटल विश्वास है की महाप्रभु जग्गनाथजी उनकी मनोकामना अवश्य पूरी करेंगे।

कसार देवी मंदिर – उत्तराखंड

देवभूमि उत्तराखंड के अल्मोड़ा के पास माँ दुर्गा स्वरूपणी कसार देवी का मंदिर है। माता के प्रति असीम आस्था के कारण भक्तजन उनके दर्शनों के लिए सैकड़ों सीढ़ी चढ़ कर उनका दर्शन करने जाते है। इस मंदिर की चुंबकीय शक्तियां विश्व भर मे इसे ख्याति प्रदान करती है।

महाकाली शक्तिपीठ – गुजरात

गुजरात मे स्थित ”पावागढ़ महाकाली मंदिर” इक्यावन शक्तिपीठों मे से एक है। ऐसा माना जाता है कि देवी सती के दाहिने पैर कि अंगुलिया यहीं गिरी थी। पहाड़िओं पर कुछ उंचाई पर स्थित होने पर भी भारी संख्या मे श्रद्धालु पूरी आस्था से यहाँ दर्शन करने जाते हैं।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर – राजस्थान

राजस्थान के दौसा जिला के पास मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर बहुत ही जागृत है। हनुमान जी के इस मंदिर मे भारत के कोने कोने से भक्तजन आते है। भूत-प्रेत से पीड़ितों को उनके परिवार के लोग इस मंदिर मे लाते है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर प्रांगण मे प्रवेश करते ही भूत-प्रेतों से छुटकारा मिल जाता है। हज़ारों लोगों को सचमुच इसका सबूत मिल चुका है।

हिंगलाज माता मंदिर – बलूचिस्तान

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी सती का मस्तक जिन पहाड़ियों मे गिरा था वहां सबसे प्रमुख शक्ति पीठ यानि हिंगलाज माता का मंदिर बना। 1947 मे हमारे देश के विभाजन के बाद यह स्थान बलूचिस्तान प्रान्त यानि पाकिस्तान के हिस्से मे चला गया। भारतीयों के मन मे इस शक्ति पीठ के दर्शन करने कि चाह बनी रहती है। वहां के स्थानीय लोग चाहे मुस्लमान या अल्पसंख्यक हिन्दू सभी पूरी श्रद्धा से इस शक्ति पीठ मे आस्था रखते हैं।

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