इस वजह से लगाया जाता है फलों पर स्टीकर… जानिए पूरी बात

Sachin
By Sachin

प्रत्येक व्यक्ति फल एवं सब्ज़ियां ताजा और अच्छी क्वालिटी की ही खरीदना चाहता है क्योंकि सेहत का ख्याल सभी रखना चाहते है।

हालाँकि बाजार में मिलने वाले फल दिखने में तो प्राय ताजा एवं अच्छे लगते है लेकिन खाने में वे अक्सर खराब निकल जाते है। इन दिनों बाजार में बिकने वाले बहुत से फलों पर स्टीकर लगे होते हैं। हम ऐसे फलों को सर्वोत्तम क्वालिटी का समझते है लेकिन ऐसा सोचना पूर्णतया गलत है। कई व्यक्ति तो ऐसे स्टीकर को यूँही व्यर्थ समझते है पर इस छोटे से स्टीकर में बहुत सी जानकारियां छुपी होती है।

PLU कोड

इन स्टीकरों को PLU कोड यानी मूल्य लुक संख्या कहा जाता है। फलों पर लगा यह स्टीकर हमें बहुत सी जानकारी दे सकता है जैसे उनकी उपज का स्थान, उगने की पद्धति, गुणवत्ता तथा उनका स्वरुप यानिकि वे परंपरागत तरीके से उगाये गए है या आनुवंशिक रूप से संशोधित किए गए हैं।

परंपरागत रूप से

जो फल परंपरागत रूप से यानि सामान्य रसायनो और कीटनाशकों के माध्यम से उगाए जाते हैं उनपर लगाए स्टीकर में 4 अंक छपे होते हैं। उदहारण के तौर पर केले को 4011 तथा सेव को 4131 कोड दिया जाता है।

नॉन आर्गेनिक फल

नॉन आर्गेनिक फल यानि आनुवंशिक रूप से संशोधित (जेनेटिकली मॉडिफाइड) फल को 5 अंकीय कोड वाले स्टीकर से पहचाना जाता है और यह 8 संख्या से शुरु होता है। इसकी प्रथम संख्या सिर्फ जीएमओ उत्पादों की पहचान के लिए है। उदहारण के तौर पर अगर सामान्य केले का स्टीकर का कोड 4011 है तो नॉन आर्गेनिक केले का कोड 84011 होगा।

कार्बनिक फल

इन फलों का PLU कोड भी 5 अंक का होता है पर यह 9 संख्या से शुरु होता है। इनका उत्पादन व्यवस्थित होता है न की आनुवंशिक रूप से संशोधित।

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