वक़्त बदल रहा है तो हमारे रीति रिवाज़ भी बदलते जा रहे हैं और भला ऐसा हो भी क्यों न हम मॉडर्न जो हो गए हैं। अब ना तो हमें अपने शास्त्रों में दिलचस्पी है और ना ही अपने बड़े बज़ुर्गो में। हमारे दिल में जो आता है हम वो ही करने लग जाते हैं अगर हमें कोई रोके तो भी हम पर कोई ख़ास असर नहीं होता लेकिन जब हमारे साथ होने लगती हैं अनहोनी घटनाएं तब तक देर हो चुकी होती है। आइये जानते हैं एक बहुत ही ज़रूरी बात को जो हमारे जन्मदिन के साथ जुडी हुई है।
मॉडर्न हो गए हैं हम
आजकल हर जगह पर वेस्टर्न कल्चर की धूम हैं और खुद को मॉडर्न दिखाने के लिए हम नई नई तरकीबें ढूंढ़ते हैं। इसी बीच आजकल रात 12 बजे जन्मदिन पर केक काटने का, पार्टी करने का और एक दूसरे को बधाई देने का बहुत चलन हो गया है। हमें लगता है ऐसा करने से हम कुछ बहुत ही नया कर रहे हैं और अक्सर पूरी तैयारी के साथ ऐसे सरप्राइज भी प्लान किये जाते हैं।
दुर्भाग्य से भरा होता है ये समय
सूरज के डूब जाने के बाद अंधकार हर और छा जाता है और रात्रि का समय शुरू हो जाता है। रात्रि के भी बिलकुल दिन की ही तरह अनेकों पहर है किसी को हम ब्रह्म मुहरत कहते हैं तो किसी को निशीथ काल। हमें शास्त्रों में इस बात का प्रमाण मिलता है की रात 12 बजे से 3 बजे तक के समय को निशीथ काल कहा जाता है और ये समय कुलपित होता है। इस समय भूत, प्रेत, ओपरी सायों का असर बहुत ज़्यादा होता है, इस प्रकार की सभी बुरी शक्तियों का प्रभाव हर और होता है यानी की ये समय किसी भी तरीके से शुभ नहीं होता। इस वक़्त ये शक्तियां इतनी प्रबल होकर घूमती हैं की इनको नियंत्रित करना किसी के बस में नहीं होता।
बुरी शक्तियों को आमंत्रण देना है
हम इस तरह की बुरी शक्तियों को देख तो नहीं सकते लेकिन इनका प्रभाव और नकरात्मकता का असर हम पर ज़रूर होता है। अब रात को नाचना, घूमना, केक काटना, नॉन वेज खाना ये सब चीज़ें इन बुरी शक्तियों को हमारी और खींचती है और ये अपने नियंत्रण से हमारी आयु को कम करती हैं और दुर्भाग्य को हमारे द्वार पर ला खड़ा करती हैं।